सर्दी पर कविता - ट्रेंडिंग ज्ञान कविता ठंड पर कविता - Hindi Poem on Winter ठंड का सवेरा आया, ओश की चादर ओढ़े; कापती ठिठुरती ठंडी में, मिल रहें सब हाथ जोड़े। होत दुपरहरी खाना खा के, खुली आसमान में चादर ओढ़े, बात चीत कि आड में धूप शेक रहें थोड़े - थोड़े। अर्क तर्क का हुआ समापन, कड़क चाय के साथ मे; मां बोले ध्यान रख आपन, ठंड लगेंगे अभी और थोड़े! आलस भार रही इस छोटे दिन में शीत की रात बीत रही पैर मोड़ें। सर्दी पर हिंदी कविता ऋतु चाहे कोई सा भी हो, हर ऋतु का एक अलग ही मजा होता है। यह कविता शरद ऋतु पर निर्धारित है जिसमें मैंने सर्दी के मौसम के दिनों कि दिनचर्या को एक कविता के अंदर समाहित करने का कोशिश किया है। इस कविता में मैंने सर्दी के मौसम में सुबह, दोपहर, शाम और रात की कुछ खास पलों को एकत्रित किया है। ये अक्सर आपको भारत के गावों में देखने को मिलता है। यदि आप भारत से है तो कहीं न कहीं आप भी इसे खुद से रिलेट कर पा रहे होंगे। ओश मतलब शीत, दुपहरी मतलब दोपहर का समय और अर्क मतलब सूर्य। ये कुछ शब्दार्थ जो कि आपको इस 14 लाइन की गाथा (कविता) को पढ़ने और समझने में मदद करे...
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